KHAIRAGARH। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने लोकपाल नियुक्ति को लेकर देश के विश्वविद्यालयों के विरूध्द जैसे ही सख्ती अख्तियार करना शुरू किया है, कई विश्वविद्यालयों की रहस्यमयी करतूतें बेनकाब होना भी शुरू हो गयी हैं। ताज़ा मामला खैरागढ़ स्थित विश्वप्रसिद्ध इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से जुड़ा हुआ है। इस विश्वविद्यालय में आधे दर्जन से ज्यादा पदों पर नियमों को ताक पर रख नियुक्ति दिए जाने की बात सामने आ रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें कुलपति जैसे महत्वपूर्ण पद पर भी नियुक्ति को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े किये गए हैं। मामले का खुलासा तब हुआ, जब दुर्ग के एक अधिवक्ता ने इन नियुक्तियों के विरूद्ध एक विस्तृत पत्र राजभवन को भेजा।
राजभवन को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि न केवल कुलपति की नियुक्ति गलत तरीके से हुई, बल्कि उसके बाद अन्य कुछ नियुक्तियां भी नियमों को नज़रअंदाज़ करते हुए की गयी हैं। अदालत भी कुछेक नियुक्तियों को पहले ही इंगित कर चूकी है, कि इनमें नियम विरूद्ध प्रक्रिया अपनायी गयी है। इसके बावजूद सम्बंधित अधिकारी, कर्मचारी पद पर बने रहे। जानकारी के अनुसार, इसमें से कई अभी भी पद पर बने हुए हैं। कुछ को जैसे ही भनक लगी, कि आगे जाकर लपेटे में आने का खतरा है, ऐसों ने पहले ही अपनी बोरिया-बिस्तर लपेटकर रवानगी ले ली।
सूत्रों ने बताया कि इन विवादित नियुक्तियों वाले कर्मचारी-अधिकारी में से कुछ अध्यापन कार्य में संलग्न हैं, तो कुछ अन्य कार्यों में भी लगाए गए हैं। बहरहाल, इस पत्र पर अभी तक किसी तरह के कार्यवाही की जानकारी नहीं मिली है। गौरतलब है कि लोकपाल की नियुक्ति को लेकर सख्ती के बाद कई विश्वविद्यालयों की गड़बड़ी वाली खबरें आना शुरू हो गयी हैं।
इस मामले में इंदिरा कला संगीत विश्वद्यालय का पक्ष जानने के लिए सबसे पहले वर्तमान कुलपति ममता चंद्राकर से संपर्क का प्रयास किया गया। उनसे संपर्क नहीं हो पाया। इसके बाद कुलसचिव नीता गहरवार से बातचीत करने की कोशिश की गयी, लेकिन उनके कार्यालय से जानकारी मिली कि वे किसी शोक कार्यक्रम में हैं। फिर, पीआरओ विनोद डोंगरे से संपर्क किया गया।
पीआरओ ने दो टूक शब्दों में कहा, इस संबंध में मेरे पास कोई जानकारी नहीं है। इसलिए कोई कमेंट नहीं कर पाऊंगा। आप कार्यालयीन समय में संपर्क करेंगे, कुछ डॉक्यूमेंट्स आदि देंगे, तो संबंधित अधिकारी अथवा विभाग से जानकारी लेकर रिप्लाई कर पाऊंगा।
मेघा तिवारी की रिपोर्ट
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