CRIME : साइबर अपराधियों का नया हथियार डिजिटल अरेस्ट।

क्या है डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट साइबर क्राइम का एक नया तरीका है, जिसके जरिए ब्लैकमेलिंग कर साइबर ठगी की जा रही है, इसमें आपको किसी भी अपराध संलिप्त होने का आरोप लगाकर ऑनलाइन  वीडियो ट्रायल कर जेल भेजने के नाम पर आपको देकर पैसे मांगे जाता है।

कैसे होता है फ्राड क्या है तरीका

किसी अनजान नंबर से आपको फोन आता है, काल करने वाला आपको "ट्राइ से बोल रहा हू, आपका मोबाइल नंबर बंद होने वाला है" कहता है। आपका नंबर एक क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर को दिया जाता है जिसके द्वारा आपको किसी ऑनलाइन एप्लीकेशन के माध्यम से वीडियो काल करके डांटा जायेगा की "आपका मोबाइल नंबर बंद किया जा रहा है। आपका नंबर ड्रग सप्लाई में शामिल है। आपने ड्रग्स भेजे है, आपको जेल हो सकती है।" इंस्पेक्टर पुलिस की वर्दी में होता है, आप डर जाते हो, जमानत और पुलिस कार्यवाही के नाम से आपसे पैसे मांगे जाते है, आपको मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन एक जगह पर स्थिर रखा कर सबसे अलग करके एक अरेस्ट करने जैसा माहौल बनाया जाता है। आपसे कहा जाता है आप डिजिटल अरेस्ट हो चुके हो।

क्या करें...

कानूनी प्रक्रिया में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान नहीं होता है और न ही आन लाइन किसी से पूछताछ करती है, ऐसे अनजान इस प्रकार के अनजान कॉल को अवॉयड करना चाहिए, एवम किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत जानकारी जैसे आधार कार्ड, पेन कार्ड, खाते की जानकारी इस्त्यादि साझा नही करनी चाहिए। घटना की रिपोर्ट नजदीकी थाने, साइबर सेल अथवा 1930, और https://www.cybercrime.gov.in/ पर करना चाहिए।।

सावधान रहे सुरक्षित रहे

रोहित मालेकर, निरीक्षक : थाना सिविल लाइन रायपुर



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